स्तब्ध हूँ, मैं निशब्द भी हूँ
इन परिस्थितियों से विरत भी हूँ
भविष्य के गर्भ मे जो है छिपा
पुन: उसको टटोलता हूँ
सजग हूँ मैं प्रेरित हूँ
हाँ कुछ कुछ उत्तेजित हूँ
रंगहीन इतिहास के पन्नो को
जब भी सम्मुख पाता हूँ
अंजान हूँ अज्ञानी हूँ
उदगार व्यक्त करने को व्याकुल हूँ
समर्पित हूँ परन्तु हिचकता हूँ
अंतर्मन को फिर से कचोटता हूँ
शब्द हूँ मैं व्याकरण हूँ
कवि की लेखनी की प्रेरणा भी हूँ
अद्रश्य भावनाओ की शक्ति को
समय की तुला में तोलता हूँ
जन्म हूँ जीवन भी हूँ
म्रत्यु से भी मिलता हूँ
है कही तो कोई सत्य छिपा
उसी अन्वेषण हित जीवन समर्पित करता हूँ